एक बार की बात है, चंद्रपुर नामक राज्य में एक बड़ा न्यायसम्मत और बुद्धिमान राजा विक्रम शासन करते थे। उनकी पत्नी, रानी माया, उनकी सहानुभूति और दया के लिए प्रसिद्ध थीं। लोग उन्हें अपने उत्तम और सही न्याय के लिए प्रसन्न करते थे।
एक दिन, जब राजा विक्रम और रानी माया अपने राज्य का दौरा कर रहे थे, तो उन्हें एक मेहनती सेवक, मोहन, के बारे में पता चला। मोहन खेतों में काम कर रहा था और उसकी मेहनत और समर्पण ने राजा और रानी को प्रभावित किया। वे उसे महल में आमंत्रित करने का निर्णय लिया।
मोहन को महल के अंदर जाकर उसकी सजावट और शानदारता का आश्चर्य हुआ। राजा विक्रम और रानी माया ने उसे बड़े प्यार से स्वागत किया और उसे उनके साथ बैठने का निमंत्रण दिया। मोहन, उनकी उदारता को देखकर, थोड़ा हिचकिचाहट महसूस करता था, लेकिन रानी माया ने उसे ताक़त दी कि हर व्यक्ति को उनके यहाँ सम्मान मिलता है, चाहे वह किसी भी वर्ग का क्यों न हो।
मोहन ने अपनी परिवार की आर्थिक समस्याओं के बारे में बताया और राजा विक्रम और रानी माया ने उसकी मदद की। उन्होंने उसे खेती में सुधार के लिए उपकरण और बीज प्रदान किए, जिससे उसकी उत्पादकता बढ़ी। उन्होंने उसे महल में भी काम करने का अवसर दिया और उसे उचित मानदेय भी दिया, ताकि वह अपने परिवार का ख्याल रख सके।
समय बीतता गया और मोहन की खेती उसके मेहनत और राजा-रानी के समर्थन से बढ़ी। धन्यवाद के रूप में, मोहन हमेशा दूसरों की मदद करता और उनके साथ अपने धन को साझा करता रहा। राजा, रानी, और मोहन की कहानी लोगों के दिलों में बस गई और वे एक-दूसरे के प्रति दया और सहानुभूति के प्रति प्रेरित हो गए। और चंद्रपुर राज्य में, प्रेम और दया के आभाव में सभी के लिए समृद्धि लाई गई।